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४ मई को होने वाली सयुंक्त बी ऐड परीक्षा आरंभ होने से पहले ही लखनऊ विश्वविधालय के कुलपति ने देर रात में अपना तुगलकी फरमान जारी कर 6लाख ९२ हज़ार बी ऐड अभ्यर्थी कि मेहनत और आशाऔ पर पानी फेर दिया , उनके सपनो को चकना चूर कर दिया , आखिर कुलपति पर ऐसा काया दबाब था कि मात्र एक शहर के ४-५ लोगो के द्वारा पेपर लीक को मुख्य आधार मानकर समस्त प्रदेश कि सयुंक्त बी ऐड परीक्षा ही रद्द कर दी , कुलपति ने परीक्षा के २ सेट क्यों नहीं छपवाए , यही कुलपति की योग्यता और नियत पर संदेह हो जाता है, क्या शिक्षा माफिया का दबाब था या फिर परीक्षा व्यवस्था को लेकर मतभेद , पेपर छपवाई के ठेके को लेकर अन्दुरुनी विवाद तो नहीं था , या फिर लखनऊ खंडपीठ और इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में अलग अलग निर्णय पर असमंजस कि स्थिति थी जिस कारन उस पर पर्दा डालने के लिए लखनऊ विश्वविधालय के द्वारा ऐसी परिस्थति उत्पन्न कि गयी ताकिपरीक्षा रद्द हो जाये , यह एक जाँच और चिंता का विषय है, जहा प्रशासन का और अभिभावक का अनुमानत : 200 करोड़ रूपया खर्च हुआ होगा, अकेले मेरठ में ही १३० केन्द्रों पर ७७ हज़ार अभ्यर्थी के लिए परीक्षा कि ही व्यवस्था थी , जिनके लिए १ हज़ार से अधिक अधिकारी तथा सरकारी कर्मचारियो को नियुक्त किया गया था , कानून वयवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी विशेष रूप से नियुक्त किये गए थे , जिन पर करीब १ करोड़ रुपये का खर्च अकेले मेरठ में ही आया , पंजाब हरियाणा
, उत्तरांचल , दिल्ली व दूरस्थ शहरों से , देहात से हजारो कि तादाद में अभ्यर्थी अपने अभिभावक के साथ मेरठ शहर में परीक्षा देने आये थे , शहर के होटल-लाज -धरमशाला आदि सभी फुल थे , रेलवे प्लेटफार्म व बस अड्डो के फर्श पर उन्होंने झुलसती गर्मी में रात किसी तरह रात काटी थी , और जब उन्हें पेपर रद्द होने कि सुचना मिली तो समस्त अभ्यर्थी अपने को ठगा स महसूस कर रहे थे , अनुमानत : अभिभावक कि खून पसीने का पैसा करीब १०-१२ करोड़ रूपया खर्च हुआ , यदि पूरे प्रदेश के १२ शहरो में १५० -२०० करोड़ रुपया खर्च अभिभावक कि जेब से हुआ होगा , ऐसे तुगलकी फरमान से उनके सपने पल में ही धराशाई हो गए , ऐसे जिम्मेदार कुलपति के कारनामे से अभ्यर्थी के करिअर और भावना से खिलवाड़ हुआ उन्हें मानसिक परेशानी अलग से हुई , ऐसे कुलपति का निश्चित रूप से माफ़ नहीं किया जा सकता ।
----- एस के सक्सेना , मेरठ जिला व्यूरो