सोमवार, 26 दिसंबर 2011

          भाजपा का असमंजस कही ब्राहमणों का भ्रम न बन जावे...?


मथुरा ! बसपा द्वारा प्रत्याशी बदलने के बाद रविकांत गर्ग की भाजपा में दावेदारी दुसरे वैश्यों से कही भरी पड़ रही थी किन्तु इसी दैरान पार्टी के ब्राहमण नेतृत्व ने अपनी विसात बिछा दी है ! सुना जा रहा है कि स्वयं को आहत अनुभव कर रहे सोहन लाल शर्मा, एस.के शर्मा, देवेन्द्र शर्मा, आदि सभी सम्भावित दावेदार ''बिल्ली खाये नहीं तो लुद्काए  '' की  भूमिका में आ गये है ! अवसरवादी राजनीति के माहिर पंडित श्यामसुंदर शर्मा (विधायक माट) अपने लगुभ्राता कृष्ण कुमार शर्मा 'मुन्ना' को मथुरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में देखने के लिए साम-दंड-भेद से जुट गये है ! बताया जा रहा है कि दोनों भाइयो के मतभेद पाट लिए गये है और प. श्यामसुंदर शर्मा किसी भी कीमत पर मथुरा सीट से अपने भाई कृष्ण कुमार शर्मा को भाजपा प्रत्याशी देखना चाहते है ! यदि ऐसा हो गया तो ब्राहमण वोट पुष्पा और मुन्ना में से किसे चुनेगे ? आशा तो यही है कि तब श्याम के बसपा सम्पर्क पुष्पा को पार्टी के अन्दर ही पटखनी देगे ! यो मुन्ना का भाजपा प्रत्याशी होना बसपा का गर्भपात होगा !

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

                              बसपा प्रत्याशी में बदलाव के संकेत
                             डा.अशोक और पुष्पा में शक्ति संतुलन 


मथुरा,23 दिसम्बर ! बहुजन समाज पार्टी (बी एस पी) मथुरा-बृन्दावन विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बदले जाने के संकेत दीए है! विगत विधानसभा चुनावो में भी डा. अशोक अग्रवाल की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए ऍन वक्त पर बसपा ने बिना प्रत्याशी की छवि पर विचार किए अपना टिकट देवेन्द्र कुमार गोतम (गुड्डू ) को दे दिया था !
इसके उपरान्त भी डा. अशोक अग्रवाल पूरी निष्ठा और साधनों से बसपा की टिकट की आस में पार्टी से जुड़े रहे! किन्तु उनके सितारों ने दिशा जैसे बदली ही न हो ! पुष्पा शर्मा ने इस बार उन्हें पार्टी में पटखनी देकर टिकट पक्की कर ली है !
बसपा के शर्मा प्रत्याशी होने से भाजपा में ब्रहामन उम्मीदवारों की दावेदारी कमजोर हो गयी है और यही माना जा रहा है कि भाजपा किसी वैश्य को प्रत्याशी बनाने जा रही है !
बसपा की टिकट के वदलाव के पीछे भाजपा और काग्रेस के उम्मीदवारों की भी अलग-अलग कोशिशे आकी जा रही है !
                                                                                            www.samaysapeksh.com

रविवार, 18 दिसंबर 2011

   
                    एक आगाह -    संस्कृति से खिलवाड़ शोक, जरुरत...या..मज़बूरी....?


वर्तमान में दिनों दिन बड़ते अपराधो ने एक बार फिर आम जनमानस को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वह अपराधो से अपनों को बचा पायेगा ? देश के हालत जिस तेजी से बदल रहे है उन से तो यही संकेत मिल रहे है कि आम आदमी असुरक्षित होता जा रहा है! खास तोंर पर लड़किया एवं बच्चे जो आसानी से शिकार बन जाते है !
             एक सर्वेक्षण के अनुसार युवतियों के प्रति लोगो का नजरिया बदलता जा रहा है! चैनल संस्कृति ने उसे भोग की वस्तु प्रचारित कर उसकी गरिमामय छवि को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, वही महिलाए भी अंग प्रदर्शन करने से और कामुक दिखने से वाज नहीं आ रही है और सीधे तोर पर आमंत्रित कर रही है उन गट्नाओ को और अनहोनी को जिनसे उन्हें स्यम बचना चाहिए, उसी दिशा की ओर मुड़ रही है इस स्थति में अपराधी प्रेरित होता है ओर अपराध करता है जाहिर सी बात है, खुद पर नियंत्रण नहीं तो अगला आपको देख कर अन्यन्त्रित ही होगा रहा सवाल यहाँ पर दोष देने या मढ़ने का तो सामने वाला दूसरे को ही दोषी पाता है कानून भी वही देखता है ओर समझता है जो उसे दिखाया जाता है ? चाहे हालात जो भी रहे हो यहाँ बहस में न पड़कर फिलाल हम असली मुद्दे पर एक बार फिर केन्द्रित होते है! मानवीय सम्वेदना की बात है तो वह खी गम सी दिखाई पड़ रही है आज-कल बच्चे भी हवस का शिकार हो रहे है ओर बदनाम बस्तियो के अन्दर उनका भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है ? अबोध के साथ क्रतग्य करके लोग इंसानियत को कलंकित कर रहे है!
बाल अपराधो का बड़ता ग्राफ यही दर्शाता है कि इन्सान कामांध होकर अपनी सुधबुध खो बेठता है ओर समाज को कलंकित कर रहे है !
महानगरो में व्याप्त पश्चिम संस्कृति की चाशनी ओर स्वतंत्ता तथा वेहुदगी की हदे पार करती युवा पीडी ख़ास तोर पर नवयोवनाये खुलेआम जब सब कुछ करने को आमन्त्रण देने लग रही हो ओर सरेआम शर्मिंदा करने लग जाये तो कहने को कुछ नहीं रह जाता !
इन युवतियों ने पैसे की खातिर एश-मोज हेतु सेक्स रिलेशनशिप का आफर करना आरम्भ कर एक नया सन्देश देना आरम्भ किया है! जो इस बात का घोतक है कि पैसा मिल जाये तो शरीर भी न्योछावर है भले इससे संस्कृति ओर सामाजिक मूल्य नैतिकता पूरी तरह कुचल रही है! पर्स में नोटों की गड्डिया होनी चाहिए पार्टी, मोज, मस्ती महगे मोबाईल वाय फ्रेंड्स के साथ लाग ड्राइव या होटलों में गुजरती राते इनमे कमी नहीं चाहिए क्योकि धनार्जन जरिया और आधार भी यही है !
यहाँ एक बात और है जो बड़ी महत्पूर्ण है इन सब गताविधियो की संलिप्तता को बढावा देने वाले ग्रुप, रेकेट और उनके सदस्य जो लेडिज होस्टल, कालेज, स्कूलों के ऊपर पूरा-पूरा ध्यान रखते है और ऐसी किशोरियों, छात्राओ एवं युवतियों को इस बिजनिस के लिए प्रेरित करने का कार्य बड़े पैमाने पर कर रहे है! यंहा इनकी आवश्यकता के अनरूप उम्र के हिसाब से माल मिल जाता है! और राजी या गैर राजी उनकी ब्लू फिल्म, अश्लील तस्वीरे उतर कर ब्लैक मेल किया जाता है और मजबूर किया जाता है! महानगरो की तर्ज पर होस्टल रेस्तराओ एवं पाश कालोनियों तक बात सीमित हो तो भी टीक है किन्तु यह आलम छोटे-छोटे शहरों में भी दिखाई दे रहा है! और संस्कृति इन शहरों में भी दस्तक दे चुकी है! किसी देश संसकृति एवं समाज के लिए इससे अधिक घातक स्थति   क्या होगी कल्पना कीजिए क्योंकि यह नियंत्रण की सारी सीमाएं लाँघ कर पूरी मूँछ काडे सामने खड़ी हो गयी है! एक ज्वलंत एवं गंभीर समस्या बनकर निश्चित तोंर पर इसके बारे मे सोचना होगा ! क्या संस्क्रती,खिलवाड़ शोंक है.....जरुरत या मज़बूरी .........?
                                        नरेन्द्र एम. चतुर्वेदी -
                                       www.samaysapeksh.com
भये न आदमी का खून फिर से,
न भूख दुनिया की खा  जाए,
करीब मंदिर के आये मस्जिद,
न फिर से कोई भी बाट पाये,
                  
                       गोपाल दास नीरज 

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

                             मथुरा सीट से उमा भारती का चुनाव लड़ना लगभग तय...?


मथुरा ! भारतीय जनता पार्टी ने मथुरा विधानसभा सीट पर आगामी चुनावों में उमा भारती को प्रत्याशी बनाने का मन बना लिया है.पार्टी सूत्रों के अनुसार मायावती के सामने तेज तर्रार पिछड़ी जाती का महिला नेतृत्व देने के लिए भाजपा ने उमा भारती को प्रोजेक्ट करने का निर्णय लिया है. आक्रामक हिंदुत्व की राजनीति के साथ पिछड़ी जातियों विशेषकर लोधी राजपूत समाज को जोड़े रखने के लिए भाजपा के पास उमाभारती ही कल्याण सिंह का बेहतर जबाब हो सकती थीं और भाजपा ने इस विकल्प का सटीक चयन किया है किन्तु पार्टी के इस निर्णय से स्थानीय नेतृत्व में हड़कंप मच गया है .वर्त्तमान कांग्रेसी विधायक को भी इससे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा .संभव है उमा भारती की प्रतिद्वंदिता से भाजपा मथुरा में अपना खाता फिर से  खोल पाने में सफल हो सके .उल्लेखनीय है की पिछली बार मथुरा की पांच में से एक भी  सीट पर भाजपा को सफलता नहीं मिली थी .उमाभारती के लिए उत्तर प्रदेश में लाँच करते वक्त भाजपा के लिए उनकी आक्रामक हिंदुत्व बालीछवि के अनुरूप सीट का चयन करना था इसलिए मथुरा सीट को उपयुक्त माना गया है .किन्तु भाजपा की यह शै स्थानीय नेताओं की भीतर घात के चलते मात में भी तब्दील हो सकती है क्योंकि टिकेट की आस में लाखों रुपये लुटा चुके नेताओं को पार्टी का यह निर्णय सुपाच्य हो ही नहीं सकता है .इधर साक्षी महाराज के अनुभव के बाद स्थानीय नेताओं के लिए बाहरी प्रत्याशी के  लिए जनता से वोट मांगना मुश्किल होगा.महामंडलेश्वर साक्षी को भाजपा ने राम लहर में मसीहा, महात्मा और न जाने कितनी महिमा के साथ मथुरा संसदीय सीट से जिता दिया परन्तु  बाद में वे असंत खलनायक  ही सिद्ध हुए थे .उमा भारती के लिए एक मुश्किल वैधानिक रूप से ये हो सकती है की वे उत्तर प्रदेश की किसी विधानसभा सीट की वोटर लिस्ट में संभवतः नहीं हें .कुल मिला कर उमा भारती कांगेर के प्रदीप माथुर के लिए चुनौती भी हो सकती हें तो मथुरा सीट उनके लिए खुद एक चुनौती बन सकती है 
.                                   --नरेंद्र एम् चतुर्वेदी प्रधान संपादक समय सापेक्ष -www.samaysapeksh.com 

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

दिखाई देने लगा अन्ना का असर,न्यायिक जवाब देही,विसिल ब्लोअर ,जन शिकायत निवारण और मनी लओंड्रिंग निषेध बिल को हरी झंडी



इस सरकार की यह मंशा है की अब अन्ना हजारे लोकपाल बिल से ऊपर ना जाने पायें  और उनके इस आन्दोलन को यहीं थाम दिया जाए .तभी कल संसद ने कई मुद्दों पर अपनी सहमति दिखाई और कई मांगों को हरी झंडी दे दी इनमे न्यायिक जवाब देही,विसिल ब्लोअर ,जन शिकायत निवारण और मनी लओंड्रिंग निषेध बिल को हरी झंडी मिल गयी है .कल प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केबिनेट ने इन चारो बिलों पर मुहर लगा दी है.इनमें न्यायिक जवाब देही बिल अहम् मन जा रहा है क्योंकि अब तक किसी कानूनी शिकंजे से दूर शीर्ष न्यायपालिका की निगाहें  भी इस पर लगी हैं .  शिखर आकाश 

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

२० दिसंबर को जनलोकपाल बिल पास होने के आसार


अंततः सरकार २० दिसंबर को पेश करेगी लोकपाल बिल .यह सब कुछ अन्ना हजारे के एक दिन के अनशन और खुली बहस तथा जनता की नाराज़गी का ही नतीजा है के सरकार को आनन्-फानन में फैसला करना पड़ा और स्थिति को भांप कर लोकपाल बिल २० दिसंबर को लाने की ज़हमत उठानी पड़ी .
सरकार यह ना सोचे की अब वह मनमानी करती रहेगी और जनता उसे सहती रहेगी .यदि अन्ना हजारे के लोकपाल बिल से यह बिल मैच कर गया और सभी मांगे मान ली गयीं तभी इस बिल को स्वीकार किया जयीगा अन्यथा अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए . शिखर आकाश 

सोमवार, 12 दिसंबर 2011

अब लोकपाल बिल पर विपक्ष भी अन्ना के साथ ,कांग्रेस अकेली पड़ी- शिखर आकाश 2

गतांक से आगे ---सावधान कांग्रेस !! कहीं ऐसा ना हो कि इस बार करारी हार का सामना करना पड़े --

यदि  सरकार(कांग्रेस) को कुछ भी  कहना  था तो उसने खुली बहस में हिस्सा क्यूँ नहीं लिया बाद में अपने सांसदों से कोरी बयानबाजी करने से क्या हांसिल होगा हकीक़त में कल सरकार की साख गिर चुकी है और इस देश की जनता को अब सरकार की किसी बात का भरोसा नहीं है.कल सरकार का बचाव करते हुए संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्ल मीडिया से बातचीत करते हुए सोनिया और राहुल की तारीफों के पुल बांध रहे थे कि सोनिया जी यह चाहती हैं राहुल जी यह चाहते हैं तो फिर कल अन्ना हजारे द्वारा आमंत्रित  करने पर वो खुली बहस में जनता का सामना करने से क्यों घबरा रहे  थे और क्यों नहीं  अपनी पार्टी का  स्टैंड या राय नहीं रखी.यदि एसी बात थी तो कल चोरों  कि तरह का व्यवहार जनता और अन्ना के साथ किया गया और मीडिया के सामने अपनी खिसियाहट निकाली .इस बात को लेकर इस देश कि जनता सत्ताधारी कांग्रेस से बहुत नाराज़ है .इस देश कि जनता को अन्ना जब भी बुलाएँगे जनता उसी जोश-खरोश के साथ आएगी और सरकारों से अपनी बात मनवाएगी .एक बात का ध्यान रखिये सरकारों को चुना जनता ने तो गिराएगी भी जनता मुझे तो डर है कि इस बार कांग्रेस का हाल आगामी चुनावों में इतना बुरा ना हो जाए के उसे इंदिरा गाँधी कि बुरी हार कि याद आ जाये .

रविवार, 11 दिसंबर 2011

अब लोकपाल बिल पर विपक्ष भी अन्ना के साथ ,कांग्रेस अकेली पड़ी- शिखर आकाश

 आज जंतर मंतर पर जो नज़ारा इस देश के लोगों ने देखा शायद वह एतिहासिक ही कहा जायेगा टीम अन्ना और खुद अन्ना अब तक जिन राजनीतिज्ञों से दूर भाग रहे थे.वही आज अन्ना और उनके सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर भ्रष्टाचार और मजबूत जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर एक साथ एक मंच पर खड़े थे .खुद अन्ना  और टीम अन्ना के सदस्यों  ने आज यह महसूस किया के वह कितनी बड़ी गलती कर चुके हैं काश  यदि इस बारे में पहले सोचा होता तो आज अन्ना के इस आन्दोलन की दिशा और दशा ही अलग होती.जितना भी विपक्ष जंतर-मंतर पंहुचा बहुत है और विभिन्न राजनातिक दलों के सदस्यों जिस तरह इस खुले मंच और खली बहस में बढ़ चड कर हिस्सा लिया वह काबिले तारीफ ही रहा .स्वयं अन्ना भी इस बात को समझ रहे थे की इस देश के विभिन्न राजनेतिक दलों के आने से उनकी ताक़त में इजाफा हुआ है.
सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को भी इस मंच पर आमंत्रित किया गया था किन्तु कांग्रेस ने आज एक स्वर्णिम अवसर खो दिया उसे जनता के बीच में आकार अपनी बात और अपना पक्ष रखने का भरपूर मौका टीम अन्ना  ने दिया था.किन्तु कांग्रेस को शायद डर था के कंहीं उसकी किरकिरी विपक्ष और जनता के सामने ना ही जाये परन्तु खुली बहस में अनुपस्थित रह कर अब कांग्रेस अकेली पड़ गयी है .अब यह स्थिति कांग्रेस के लिए और खतरनाक हो गयी है सरकार को इस आन्दोलन से उठने वाली चिंगारियों का अंदाज़ा हो गया होगा
.सरकार की अनुपस्थिति पूरे देश को नागँवार गुज़री है और जनता में इस बात को लेकर खासी  नाराजगी भी है कांग्रेस के इस रवये से सरकार की नियत पर शक है किन्तु अन्ना  हजारे और उनकी टीम ने सरकार को अपनी मंशा भी जाता दी है की यदि सरकार जनलोकपाल बिल को लाने में आनाकानी करती है तो वह अब विपक्ष को साथ लेकर इस देश की जनता के साथ इस देश की प्रत्येक जेल को भर देंगे जिसका   सारा ज़िम्मा सरकार का होगा .क्रमशः  

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

तथाकथित मुहर्रम कमिटी के रवईये से मुसलमानों में आक्रोश

तथाकथित मुहर्रम कमिटी  के रवईये से मुसलमानों में आक्रोश 
मथुरा ८ दिस .जिला साम्प्रदायिकता  विरोधी कमिटी के महामंत्री ज़हीर आलम एडवोकेट ने भरतपुर गेट पर आज तथाकथित मुहर्रम कमिटी द्वारा ग़म के मौके पर साफे और तालियों के साथ खुशगवार माहौल बनाते हुए सत्ताधारी दल के भावी प्रत्याशी का स्वागत सत्कार और आपस में एक दूसरे का स्वागत करके आम मुसलमानों की भावना से खिलवाड़ किये जाने की निंदा की है.उल्लेखनीय है कि शिया और सुन्नी दोनों तरह के मुसलमान मुहर्रम के महीने को ग़म कमाहीना मानते हें और इस महीने की ९ वीं तारिख को इमाम हुसैन और उनके ७२ साथियों की शहादत की याद में अपने अपने तरीके से ग़म का इजहार करतेहें.आज जबकि प्याले के जुलुस में शहनाई पर नआत-ए- पाक  पड़ी जा रही थी वहां कथित मुहर्रम कमिटी के आमंत्रण पर मथुरा वृन्दावन  विधानसभा क्षेत्र के बसपा कोऔर्दीनेतर डाक्टर अशोक अग्रवाल का साफा बांध कर स्वागत किया गया गया और तालियाँ बजाई गयी.
सिलसिला आगे बड़ा और कमिटी के सदस्यों ने आपस में एक दुसरे को तालियाँ बजाकर साफे बांधे .मुस्लमान जबकि गमजदा होते हें तब उनके यहाँ सब शुभ काम और ख़ुशी का इजहार निषेध है .ऐसे में मुहर्रम कमिटी के द्वारा किसी नेता का स्वागत सत्कार मुसलमानों को काफी नागवार गुजरा और आम धार्मिक अस्थावाले मुसलमानों को चोट पहुंची..आज से चौदह सौ साल पहले हुई शहादत और कुर्बानी का मुहर्रम कमिटी ने मजाक बना कर रख दिया जिससे मुसलमानाने शहर मथुरा में रोष है .-
                       प्रदेश में सडको पर जाम एक विकराल समस्या...?
उत्तर प्रदेश की सडको पर आप चाहे जिधर भी निकल जाइए आप समय से अपने गतव्य को पहुच जाये ये ही काफी है! प्रदेश में विकास के नाम पर करोड़ो रूपये पानी की सी तरह बहाया जा रहा किन्तु जाम की विकराल समस्या पर किसी ने गौर नहीं किया यही वजह है कि आज स्थति बद से बत्तर हो गयी है!
आज पूरे यू.पी. में आवश्कता सडको पर जाम की स्थति से निपटने के लिए जगह-जगह ओवर ब्रिज का होना बहुत अनिवार्य है जिससे आम जनमानस को राहत मिल सके और समय से अपने गतव्य को जा सके टूटी सडको का काया कल्प  हो साथ ही हर व्यस्तम एरिया में ट्रेफिक पुलिस की व्यवस्था हो विकास के नाम पर जनता का पैसा इन नेताओ अधिकारियो की जेब भरने के लिए या इनके सरकार की नजरो से बचकर अपने दो नम्बर के व्यवसाय, इनके रिश्तेदारों के नाम पर चल रही फेक्ट्रिया आलीशन कोठी, बगला, गाड़ी आदि पर लुटाने को नहीं है!
प्रदेश में बड़ते ट्रेफिक से अब जनता अजीज आ चुकी है हर कोई जाम की समस्या को लेकर खिन्न नजर आता है! आख़िरकार जनता प्रदेश की मुखिया से ये जानना चाहती है कि विकाश के नाम पर स्वीकृत  हो रहा करोड़ो रुपया जा कहा रहा है! बनी हुई सडको को खोद कर दुबारा बनाया क्यों नही जाता जाम से निजात दिलाने में क्या प्रदेश कि मुखिया या सम्बन्धित अधिकारी कोई गम्भीर कदम उठाने का प्रयास करने कि जहमत उठायेगे या इतना सब जाम के झाम का तमासा तमाशबीन बन कर तमासा देखते रहेगे !
              _                                                                               नरेन्द्र एम.चतुर्वेदी  
                                                                                                      देखे -www.samaysapeksh.com      

सोशल नेटवर्किंग पर प्रतिबन्ध की बात पर ही फंस गए सिब्बल,इन्टरनेट कि स्वतंत्रता पर वार करना गलत .

सोशल नेटवर्किंग पर प्रतिबन्ध की बात पर ही फंस गए कपिल  सिब्बल ने सोचा भी ना था की उनको अपने बयान पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ जायेगा.पूरे देश में सोशल नेटवर्किंग पर की गयी सिब्बल के लिए तूफ़ान ला देगी यह शायद सरकार ने भी ना सोचा था .हकीकत में सोशल नेटवर्किंग के द्वारा आज लोग एक दूसरे के बहुत करीब हो गए हैं और विद्यार्थी तो अपने दोस्तों और क्लासमेट्स के साथ अपने पठन-पाठन को भी शेअर कर  रहे हैं. हाँ यह बात भी दीगर है की कुछ लोगों ने वास्तव में हद ही कर दी है और इस सोशल नेटवर्किंग  का जमकर अपनी भड़ास निकालने में इस्तेमाल किया है .और यह भी बात सही ही है की इस सब का राजनेता और बड़ी हस्तियाँ ज़्यादातर शिकार हुई हैं .यंहां एक बात काबिलेगौर है की  यदि सरकार सोशल  नेटवर्किंग पर हो रही मनमानी की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करती है तो क्या गलत करती है? अब तक आप यदि ऐसा कर रहे थे तो आप ज़रूर गलत है और सरकार आपको मात्र आगाह कर रही है यह सरकार को भी पता है के चीन ने सोशल नेटवर्किंग पर शिकंजा कसा था और उसके कैसे घातक परिणाम हुए थे .सोशल नेटवर्किंग एक माध्यम है विचारों  को आदान-प्रदान करने का लोगों की भावनाओं को समझने का इसको बढ़ावा देना होगा,इन्टरनेट कि  स्वतंत्रता पर वार करना गलत है.  शिखर  आकाश साथ में नरेन्द्र एम.चतुर्वेदी 

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

A'gauche: ०६ दिसंबर १९९२ -श्रीमद भगवतगीता के दर्पण में

A'gauche: ०६ दिसंबर १९९२ -श्रीमद भगवतगीता के दर्पण में

सरकार द्वारा सोशल नेवर्किंग पर शिकंजा कसने की मंशा रोक लग सकती है अब आपकी आलोचना पर

रोक लग सकती है अब आपकी आलोचना पर 
सरकार द्वारा सोशल नेवर्किंग पर शिकंजा कसने की मंशा , जी हाँ बहुत हो चुका फेस  बुक पर मनमानी करना या ट्विटर पर आलोचना करना अब आपके कमेंट्स पर सरकार की निगाह हर दम रहेगी . रोक लग सकती है अब आपकी आलोचना पर,अब आप अपनी आदतों को सुधार ही लें तो ज्यादा मुनासिब होगा आपके लिए .फेस बुक पर अपनी दुश्मनी दूसरों के प्रति निकालना अब आपको महंगा पड़ सकता है सरकार इस पर अब गंभीरता से विचार कर रही है .तो जनाब हो जाइए होशियार और अब इन्टरनेट पर कुछ भी लिखने से पहले एक बार सोच ज़रूर लीजिएगा की कंही आपकी नादानी आपको महंगी ना पड़  जाए .
शिखर आकाश 

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

                                                        इतिहास के आईने में 
तत्कालीन मुस्लिम इतिहासकार कैफ़ी खान ने लिखा कि -शिवाजी ने वास्तव में अपने अनुयायियों से कह रखा था कि वे किसी मस्जिद को चोट न पहुचाये किसी धार्मिक ग्रन्थ या औरत की बेज्जीती न करे ! जब कभी कुरान उनके हाथ में पड़ी, वे सम्मान के साथ उसे उठा लाते और अपने किसी मुसलमान मित्र को दे देते थे !
                     क्या आज की शिव सेना वाले छत्रपति शिवाजी से कुछ सीखेगे 
                                                                                                                             नरेन्द्र एम. चतुर्वेदी    

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

पल भर के लिए कोई हमे प्यार कर ले झूठा ही सही- देवानंद

हमारे  और  आपके दिलों में रहने वाले देवानंद साहब आज हमारे बीच  नहीं हैं, यह सोच कर ही धक्का सा लगता  है . हिंदी फिल्मों की आत्मा कही जाने वाली यह रोमांटिक शख्सियत इतनी जल्दी हम से हमेशा के लिए जुदा हो जाएगी यह हमने सोचा भी ना था. एक दौर हुआ करता  था देवानंद साहब की अदाकारी के लोग दीवाने हुआ करते थे ,नव युवतियां उनकी एक झलक पाने को बेताब हुआ करती थीं. उनकी कुछ प्रेम कहानियां अधूरी ही रह गयीं और अपने प्यार अभनेत्री जीनत अमान को अभिनेता और शो मेन राज कपूर  की बाँहों में झूलता देख उनका दिल टूट गया और तभी से उन्होंने अकेले रहना चाहा. पार्श्व गायिका और अभिनेत्री सुरैया से देव साहब शादी करना चाहते थे किन्तु उनकी माँ ने इस बंधन को नहीं स्वीकरा. १९४९ में नवकेतन फिल्म प्रोडक्शन शुरू कर कई बेहतरीन फिल्मों का निर्माण किया ,मै ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ,अभी ना जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं ,यहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जायेगा कहाँ  और चूड़ी नहीं यह मेरा दिल है देखो-देखो टूटे ना ,पल भर के लिए कोई हमे  प्यार कर ले झूठा ही सही ,खोया-खोया चाँद खुला आसमान आँखों  में साड़ी रात जाएगी तुमको भी कैसे नींद  आएगी. यह गाने इस सदाबहार हीरो ने अपने चाहने वालों को सौगात के रूप में दिए हैं .गाइड ज्वेलथीफ  देसपरदेस जानी मेरा नाम आदि देव साहब की उल्लेखनीय फ़िल्में हैं - शिखर आकाश साथ में नरेन्द्र ऍम चतुर्वेदी  

फ़ॉलोअर

ब्लॉग आर्काइव