सोमवार, 12 दिसंबर 2011

अब लोकपाल बिल पर विपक्ष भी अन्ना के साथ ,कांग्रेस अकेली पड़ी- शिखर आकाश 2

गतांक से आगे ---सावधान कांग्रेस !! कहीं ऐसा ना हो कि इस बार करारी हार का सामना करना पड़े --

यदि  सरकार(कांग्रेस) को कुछ भी  कहना  था तो उसने खुली बहस में हिस्सा क्यूँ नहीं लिया बाद में अपने सांसदों से कोरी बयानबाजी करने से क्या हांसिल होगा हकीक़त में कल सरकार की साख गिर चुकी है और इस देश की जनता को अब सरकार की किसी बात का भरोसा नहीं है.कल सरकार का बचाव करते हुए संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्ल मीडिया से बातचीत करते हुए सोनिया और राहुल की तारीफों के पुल बांध रहे थे कि सोनिया जी यह चाहती हैं राहुल जी यह चाहते हैं तो फिर कल अन्ना हजारे द्वारा आमंत्रित  करने पर वो खुली बहस में जनता का सामना करने से क्यों घबरा रहे  थे और क्यों नहीं  अपनी पार्टी का  स्टैंड या राय नहीं रखी.यदि एसी बात थी तो कल चोरों  कि तरह का व्यवहार जनता और अन्ना के साथ किया गया और मीडिया के सामने अपनी खिसियाहट निकाली .इस बात को लेकर इस देश कि जनता सत्ताधारी कांग्रेस से बहुत नाराज़ है .इस देश कि जनता को अन्ना जब भी बुलाएँगे जनता उसी जोश-खरोश के साथ आएगी और सरकारों से अपनी बात मनवाएगी .एक बात का ध्यान रखिये सरकारों को चुना जनता ने तो गिराएगी भी जनता मुझे तो डर है कि इस बार कांग्रेस का हाल आगामी चुनावों में इतना बुरा ना हो जाए के उसे इंदिरा गाँधी कि बुरी हार कि याद आ जाये .

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