बुधवार, 13 मार्च 2013

अब पछताये क्या होत है, जब चिड़िया चुंग गयी खेत ? यमुना मुक्ति पदयात्रा आन्दोलन की हवा तो प्रस्तावित कार्यक्रम से दो दिन पहले ही निकल गयी थी या यू समझो कि मथुरा बृन्दावन के एक  नामचीन चमचे  ने हवा निकालने में अच्छी भूमिका अदा की थी, क्या जरुरत थी आन्दोलन से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँघी से मिलने की , क्या जरुरत थी अपने को हीरो शो करने के लिये अख़बार में फोटो छपवाने की, जब सोनिया जी से मिल ही आये उन्होंने भरोसा दिला दिया तो फिर क्या महत्वता रह गयी आन्दोलन की, क्या ओचित्त रह गया। 
वही मीडिया ने एक चेहरे को इतना छापा की जनपद की सीमा के बहार की उसे भी अपनी ताकत का एहसास हो गया। केंद्र सरकार से ब्रज की जनता को तो झुनझुना ही मिला है, पर दलालों की नजर तो अब भी जल संचय हेतु मिलने वाले दो सो करोड़ पर ही द्रष्टि है। 

शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

नववर्ष की शुभकामनाएँ 

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