शुक्रवार, 29 जून 2012

              मथुरा निकाय चुनाव भाजपा में घमाशान 

  दाड़ी वाले के हाथ में गरसा और गोस्वामी के हाथ में फरसा 

   कैसे जीतेगी राजेश की मनीषा मोतारमा.......?

मथुरा। भाजपा का विधान सभा में ब्राहमण कार्ड फेल हो जाने के बाद निकाय चुनावो में वैश्य प्रत्याशी का चुनावो में उतारा जाना तय था इसी क्रम में मनीषा गुप्ता को नगर का प्रत्याशी घोषित किया गया जिसके चलते विरोध के स्वर मुखर हो गये जिससे कोसीकला व ब्रन्दावन सीटो की मुफ्त में बली चढ़ गयी भाजपा से मथुरा से नगर के दो बार अध्यक्ष रहे राजेश गुप्ता अपनी पत्नी मनीषा गुप्ता को टिकट तो हासिल कर ली कुर्सी हासिल कैसे करेगे...यह एक विचारणीय प्रश्न है।
मथुरा सीट पर भाजपा से विधायक व मंत्री रह चुके एक दाड़ी वाले अपने को व्यपारियो का नेता कहने वाले कार्यकर्ताओ के अरमानो का गला घोट कर अपनी राजनैतिक धार व धाक रखने में माहिर हर जगह सुर्खियों में बने रहने के चक्कर में संघटन को जिले में से  ख़त्म करने पर आमादा है।विधान सभा चुनावो में भी मथुरा सीट से देवेन्द्र कुमार शर्मा भी दाड़ी वाले बाबा को रास नहीं आये पिछले निकाय चुनावो में नवीन मित्तल भी पसन्द नहीं आये जो उनकी हार का मुख्य कारण बनी इनसे पहले प्रदीप गोस्वामी की टिकट फ़ाइनल हो चुकी को एक पत्रकार के सहयोग से कटवायी गयी इस बार मथुरा में निकाय चुनावो में अध्यक्ष पद के लिये मनीषा गुप्ता के नाम से बोखलाये दाड़ी वाले ने ब्रन्दावन में मुकेश चतुर्वेदी व हरिओम शर्मा की जहा टिकट होने नहीं दी वही कोसीकला में चोधरी पूरन सिहं एडवोकेट की फ़ाइनल टिकट कटवाकर उधोग जगत के अपने आप को भाजपा का वरिष्ठ नेता कहने वालो के मुंह पर एक तमाचा ऐसा मारा है कि पुरे भाजपा व संघ के नेताओ में घमासान मच गयी है ऐसे में मनीषा गुप्ता का निकाय चुनाव की मथुरा सीट को जीतना काँटों भरे ताज के समान हो गयी है क्योकि जहा दाड़ी वाला गरसा लेकर हरवाने के लिए कमर कस ली है वही सुनीता गोस्वामी को टिकट ना मिलने से नाराज उनके पति प्रदीप गोस्वामी भी भाजपा की बैंक वोट को काटने पर आमादा है जबकि कार्यकर्ताओ में इस दाड़ी वाले नेता को लेकर काफी आक्रोश है पूर्व में भी ये काग्रेस के लिए काम किया था ये दाड़ी वाला काग्रेस का एजेंट है और इस बार भी ऐसा ही होने वाला है इस बार कार्यकर्ताओ ने प्रदेश व राष्ट्रीय नेताओ को अवगत भी कराया था कि इस दाड़ी वाले के रहते जनपद में  संघटन ख़त्म हो रहा है इसके वावजूद भी टिकटों के वितरणों में हुई धाधली से कार्यकर्त्ता आपे से बाहर है कार्यकर्ताओ का तो यहा तक कहना है कि  तो जनपद के वरिष्ठ नेता कहने वालो को त्यागपत्र दे देना चाहिए या इस दाड़ी वाले का निष्कासन करवाना चाहिए।
    अब सवाल उस भाजपा का है जो अपना जनाधार खो चुकी है उसे वापस कैसे लाये किन्तु घर के विभिषनो से कैसे निपटा जाये अब राजेश गुप्ता अपनी पत्नी मनीषा गुप्ता को लेकर चिन्तित है कि मोतरमा को जिताया कैसे जाये।
                                                          http//blogger.samaysapeksh.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर