मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010
पुलिस कि हिरासत से कैदी भागा
मथुरा। आगरा पेशी पर लेजाते वक्त राष्ट्रीय राजमार्ग पर हथकड़ी पहने एक अपराधी को बदमाशों द्वारा पुलिस हिरासत से जबरन छुड़ा लिया गया, इतना ही नहीं अपराधी के साथी पुलिस वालों को मारपीट कर घायल कर हथकड़ी समेत अपने साथी को भगा ले जाने में भी सफल रहे। बताते हैं कि इस अपराधी पर दर्जनों मुकद्दमे दर्ज थे। घटना के तुरंत बाद पुलिस हरकत में आगयी किन्तु वह अपराधी को दोबारा पकड़ने में फिलहाल असफल ही साबित रही है । हरियाणा का मेवात निवासी अहमद पुत्र टुंडलआगरा कि विशेष अदालत में पेशी हेतु लेजाया जारहा था।
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लेखन के लिये “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंजीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव जीते हैं, लेकिन इस समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये मानव जीवन ही अभिशाप बन जाता है। अपना घर जेल से भी बुरी जगह बन जाता है। जिसके चलते अनेक लोग मजबूर होकर अपराधी भी बन जाते है। मैंने ऐसे लोगों को अपराधी बनते देखा है। मैंने अपराधी नहीं बनने का मार्ग चुना। मेरा निर्णय कितना सही या गलत था, ये तो पाठकों को तय करना है, लेकिन जो कुछ मैं पिछले तीन दशक से आज तक झेलता रहा हूँ, सह रहा हूँ और सहते रहने को विवश हूँ। उसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह आप अर्थात समाज को तय करना है!
मैं यह जरूर जनता हूँ कि जब तक मुझ जैसे परिस्थितियों में फंसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, समाज के हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यह भी एक बडा कारण है।
भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस प्रकार के षडयन्त्र का कभी भी शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल कुछ मिनट का समय हो तो कृपया मुझ "उम्र-कैदी" का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आपके अनुभवों/विचारों से मुझे कोई दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये! लेकिन मुझे दया या रहम या दिखावटी सहानुभूति की जरूरत नहीं है।
थोड़े से ज्ञान के आधार पर, यह ब्लॉग मैं खुद लिख रहा हूँ, इसे और अच्छा बनाने के लिए तथा अधिकतम पाठकों तक पहुँचाने के लिए तकनीकी जानकारी प्रदान करने वालों का आभारी रहूँगा।
http://umraquaidi.blogspot.com/
उक्त ब्लॉग पर आपकी एक सार्थक व मार्गदर्शक टिप्पणी की उम्मीद के साथ-आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”