.
प्रेम शाश्वत है इश्वर है एक मधुर रिश्ता है जो लोगों को बाँध कर रखता है . यही वो परिभाषा है जो अपनत्व की कसौटी पर खरी उतरती है ,हम सभी को और ख़ास तौर पर दो युवा दिलों को नजदीक लाती है प्रेम,प्यार और चाहत यह वो शब्द हैं जिनसे यह जीवन समरस हो चला है तभी तो कहा जाता है के--- प्यार के रंग से तू दिल को सजाये रखना हो सके तो इस जहाँ में किसी को तो अपना बनाये रखना
शिखर आकाश
सम्पादक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें