मथुरा (ब्रज)का प्रसिद्ध कंस वध का मेला अत्याचारी कंस के मर्दन का दिन होता है ! आपको बताते चलें की जिस तरह दशहरे पर हर साल रावण का पुतला जलाया जाता है ,ठीक उसी प्रकार मथुरा में कसं के पुतले को लाठी डंडों से पीटने की प्रथा है.श्री कृष्ण -बलराम ने कसं के बढ़ते हुए अत्याचार को रोकने के लिए कंस का वध किया और मथुरा के व्श्राम घाट पर कुछ पल के लिए विश्राम किया था!
मथुरा में चतुर्वदी समाज के लोगों के लिए यही पर्व साल का सब से बड़ा त्यौहार माना जाता है इस दिन चतुर्वेदी समाज के सभी लोग नव युवक- युवतियां ,महिला-पुरुष नए वस्र्ताभूषण पहन कर अपनी लाठियों को इस दिन के लिए तेल पिला कर तयार कर लेते हैं और कंस मेले के दिन इन्हीं लाठियों से कंस के पुतले को पीट कर धुल-धूसरित कर देते हैं और गाते हुए कहते हैं ---छज्जू आये खाट के पाए ,मार-मार लाठन धूर कर आये ,वाही कसं को चेहरा लाये, के विशेष बात और बताते चलें की इस दिन चतुर्वेदी समाज के लोग देश -विदेश से इकठ्ठा होते हैं ! बोलो जय श्री कृष्ण !!
शिखर आकाश साथ में नरेन्द्र ऍम चतुर्वेदी
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