शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

                      काग्रेस  कार्यकर्ताओ का दर्द 
               विधायक से छुव्ध जमीनी कार्यकर्त्ता 

मथुरा। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में काग्रेस प्रत्याशी को अल्प मतों से मिली विजय का श्रेय मात्र स्यम अपने विकास कार्यो की वजह मानने से जमीनी कार्यकर्त्ता छुव्ध है हकीकत यह है कि आम जमीनी कार्यकर्त्ता अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है क्योकि काग्रेस पार्टी के सगठन में अपनी वजूद न होते हुए भी अपने को कार्यकर्त्ता मान कार्य किया ऐसा कोई बूथ नहीं जिस पर काग्रेस को वोट न पड़ा हो जबकि उन जगह प्रदीप माथुर के विकास १० वर्षो में शून्य है।
कार्यकर्ताओ का कहना है कि विधायक काग्रेस को अपनी जागीर समझने लगे है। सेवादल जैसे अग्रिम संघठन के अध्यक्ष व प्रदेश पदाधिकारी जहाँ विधायक की गैस एजेंशी के कर्मचारी है। दूसरी ओर विधायक के साथ व काग्रेस के कार्यक्रमों में भी एकाधिकार रखते है जिससे जमीन से जुड़े कार्यकर्त्ता अपनी वेदना किसी से कह भी नहीं सकते २१ अप्रेल को लखनऊ में हाईकमान को समीक्षा बैठक में रिपोर्ट जानी है वह झूठी व भ्रामक अखबारी होनी है।
           वही हाल शहर कमेटी का है जो की अधक्ष बनने के उपरांत भी आज तक अपनी कार्यकारणी घोषित नहीं कर पाये चमचो का कल भी बोलबाला था और आज भी बोलबाला है कई तो ऐसे जमीनी कार्यकर्त्ता है जो अपना सब कुछ लुटा कर भुखमरी व बेरोजगारी के कगार पर है विधायक यदि असलियत से वाखिफ होना चाहते है तो जमीनी कर्कर्ताओ के हाल चाल व उनके छेत्र में भ्रमण कर आत्मीयता दिखाये वर्ना आम जमीनी कार्यकर्त्ता शान्त न बैठ कर अपने हक़ के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है 
                                                                                   hppt.//www.samaysapeksh.com 

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