सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह नहीं रहे

ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह नहीं रहे.संगीत के शोकीन और ग़ज़ल को जान ने  और समझने वाले आज मायूस हो गए जब उन्होंने यह दुःख भरी खबर को विभिन्न चेनलों के माध्यम  से सुना की जगजीत सिंह नहीं रहे तो तमाम संगीत  और ग़ज़ल के शोकीन स्तब्ध रह गए."चिट्ठी ना कोई संदेस ना जाने कौन   से देस जहान तुम चले गए .तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो ,क्या गम है जिसको छुपा रहे हो और होटों से छु लो तुम मेरा गीत अमर कर दो ,बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो, सचमुच यह ऐसी ग़ज़लें थीं जो अमर हो गयीं हैं .समय सापेक्ष परिवार की तरफ से इस महान ग़ज़ल सम्राट को भावभीनी श्रद्धांजलि.
शिखर आकाश 
सम्पादक  

बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें

हिंदी दिवस पर आप सभी को  हार्दिक शुभकामनायें -हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्ता हमारा .आइये आज प्रण करें   के हम हिंदी को उसका सम्मान वापस दिलाएंगे -जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

वेलेंटाइन डे पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं



प्रेम शाश्वत है इश्वर है एक मधुर रिश्ता है जो लोगों को बाँध कर  रखता है . यही वो परिभाषा  है जो अपनत्व की कसौटी पर  खरी उतरती है ,हम सभी को और ख़ास तौर  पर दो युवा दिलों को नजदीक लाती है प्रेम,प्यार और चाहत यह वो शब्द  हैं जिनसे यह जीवन समरस हो चला है तभी तो कहा जाता है के--- प्यार के रंग से तू दिल को सजाये रखना हो सके तो इस जहाँ में किसी को तो अपना बनाये रखना 
शिखर आकाश 
सम्पादक 




मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

आप सभी को बसंत पंचमी (सरस्वती पूजन ) के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें!


मथुरा । आप सभी को बसंत पंचमी (सरस्वती पूजन ) के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें!

ब्रजभाषा के कवि पदमाकर के शब्दों में ---
कूलन में, केलि में ,कुजन में, क्यारिन में
कलित में, कालिन में,किलकत है बीथिन में.
ब्रज में ,नवेलिन में,बनत में, बागन में,बगरयो बसंत है----
महादेवी वर्मा के शब्दों में -----
धीरे धीरे उतर शितिज से
वसंत रजनी
तरकमय नववेनी बंधन शशिफूल शशि को कर नूतन
राश्मिवालय सितघन अवगुंठन
मुक्ताहल अविराम बिछा दे
शिखर आकाश, संपादक

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

यमुना को प्रदूषण से बचाना होगा


मथुरा। पतित पावनी यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए आम जन मानस में जन जाग्रति लानी होगी जिससे यमुना के अस्तित्व पर मंडराते संकट से निजात मिल सके साथ ही साथ यमुना कि स्वच्छता के लिए अब केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी सच्चे मन से हम सभी को प्रयास करने होंगे यह बात दीगर है कि इस मामले में सदा ही प्रयास किये जाते रहे है किन्तु अभी तक कोई ख़ास सफलता भी हासिल नहीं हो पायी है ऐसे में हमे जनजाग्रति के माध्यम से एक आन्दोलन चलाना होगा तभी हम सभी के सामूहिक प्रयासों से यमुना को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है ।
शिखर आकाश
संपादक समय सापेक्ष

शनिवार, 8 मई 2010

तुगलकी फरमान से लाखो बी ऐड अभ्यर्थी को भारी मानसिक अघात

४ मई को होने वाली सयुंक्त बी ऐड परीक्षा आरंभ होने से पहले ही लखनऊ विश्वविधालय के कुलपति ने देर रात में अपना तुगलकी फरमान जारी कर 6लाख ९२ हज़ार बी ऐड अभ्यर्थी कि मेहनत और आशाऔ पर पानी फेर दिया , उनके सपनो को चकना चूर कर दिया , आखिर कुलपति पर ऐसा काया दबाब था कि मात्र एक शहर के ४-५ लोगो के द्वारा पेपर लीक को मुख्य आधार मानकर समस्त प्रदेश कि सयुंक्त बी ऐड परीक्षा ही रद्द कर दी , कुलपति ने परीक्षा के २ सेट क्यों नहीं छपवाए , यही कुलपति की योग्यता और नियत पर संदेह हो जाता है, क्या शिक्षा माफिया का दबाब था या फिर परीक्षा व्यवस्था को लेकर मतभेद , पेपर छपवाई के ठेके को लेकर अन्दुरुनी विवाद तो नहीं था , या फिर लखनऊ खंडपीठ और इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में अलग अलग निर्णय पर असमंजस कि स्थिति थी जिस कारन उस पर पर्दा डालने के लिए लखनऊ विश्वविधालय के द्वारा ऐसी परिस्थति उत्पन्न कि गयी ताकिपरीक्षा रद्द हो जाये , यह एक जाँच और चिंता का विषय है, जहा प्रशासन का और अभिभावक का अनुमानत : 200 करोड़ रूपया खर्च हुआ होगा, अकेले मेरठ में ही १३० केन्द्रों पर ७७ हज़ार अभ्यर्थी के लिए परीक्षा कि ही व्यवस्था थी , जिनके लिए १ हज़ार से अधिक अधिकारी तथा सरकारी कर्मचारियो को नियुक्त किया गया था , कानून वयवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी विशेष रूप से नियुक्त किये गए थे , जिन पर करीब १ करोड़ रुपये का खर्च अकेले मेरठ में ही आया , पंजाब हरियाणा
, उत्तरांचल , दिल्ली व दूरस्थ शहरों से , देहात से हजारो कि तादाद में अभ्यर्थी अपने अभिभावक के साथ मेरठ शहर में परीक्षा देने आये थे , शहर के होटल-लाज -धरमशाला आदि सभी फुल थे , रेलवे प्लेटफार्म व बस अड्डो के फर्श पर उन्होंने झुलसती गर्मी में रात किसी तरह रात काटी थी , और जब उन्हें पेपर रद्द होने कि सुचना मिली तो समस्त अभ्यर्थी अपने को ठगा स महसूस कर रहे थे , अनुमानत : अभिभावक कि खून पसीने का पैसा करीब १०-१२ करोड़ रूपया खर्च हुआ , यदि पूरे प्रदेश के १२ शहरो में १५० -२०० करोड़ रुपया खर्च अभिभावक कि जेब से हुआ होगा , ऐसे तुगलकी फरमान से उनके सपने पल में ही धराशाई हो गए , ऐसे जिम्मेदार कुलपति के कारनामे से अभ्यर्थी के करिअर और भावना से खिलवाड़ हुआ उन्हें मानसिक परेशानी अलग से हुई , ऐसे कुलपति का निश्चित रूप से माफ़ नहीं किया जा सकता ।
----- एस के सक्सेना , मेरठ जिला व्यूरो

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