शुक्रवार, 27 नवंबर 2009
हर साल डेढ़ अरब बच्चे हिंसा का शिकार
यूनिसेफ के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा भारी प्रयासों के बाद भी दुनियाभर में हर साल 50 करोड़ से डेढ़ अरब बच्चे विभिन्न प्रकार की हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की दुनिया के बच्चों की स्थिति रिपोर्ट के विशेष संस्करण के अनुसार विभिन्न प्रकार की हिंसा और अत्याचार के शिकार इन बच्चों को भविष्य में मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया है-बच्चों के हितों में अत्यधिक नुकसान पहुँचाने वाली प्रथाएँ सामाजिक परंपराओं और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों का भाग होती हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी विद्यमान रहती हैं।
अत: केवल कानून पारित कर देना ही काफी नहीं होता है। इन्हें सतत शैक्षिक एवं जागरुकता के प्रयासों, क्षमता निर्माण, पर्याप्त संसाधनों, परस्पर सहयोग तथा बच्चों की भागीदारी का समर्थन होना चाहिए। यह विशेष रूप से तभी लागू होता है, जब बच्चों को हिंसा, दुर्व्यवहार और शोषण के बचाने की बात सामने आती है।
रिपोर्ट के अनुसार हर देश एवं समुदाय, सांस्कृतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक समूह में बच्चे हिंसा दुर्व्यवहार शोषण, उपेक्षा और भेदभाव के शिकार होते हैं। इस प्रकार के उल्लंघन बाल अधिकारों में रूकावट पैदा करते हैं।
बाल अधिकार सम्मेलन के अनुच्छेद (19) में कहा गया है कि सभी सदस्य देशों को बच्चे की शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा, उपेक्षा, शोषण के साथ साथ यौन दुर्व्यवहार से रक्षा के लिए उचित कानून, प्रशासनिक, सामाजिक एवं शैक्षिक उपाय करना होंगे। भले ही बच्चे की देखभाल इस दौरान अभिभावकों अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की जा रही हो।
इस प्रकार के सुरक्षाकारी उपाय हर प्रकार से उपयुक्त और बच्चे के लिए उपयोगी होना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि शारीरिक रूप से असमर्थ बच्चे भेदभाव और अकेलेपन के शिकार होने के साथ-साथ विशेष रूप से शारीरिक हिंसा एवं भावनात्मक तथा मौखिक दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं, जिसके कारण बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति भी प्रभावित होती है।
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