गुरुवार, 14 जनवरी 2010

सूर्य ग्रहण: जो डर गया,


नोएडा[तसलीम अहमद]। सूर्य ग्रहण हो या चंद्रमा, देश में अभी तक अनेक लोग किन्हीं धारणाओं या शारीरिक क्षति पहुंचने की आशंका के चलते ऐतिहासिक क्षणों से वंचित रह जाते हैं। वे इस दौरान विभिन्न कर्मकांड करने लगते हैं। ग्रहण के बाद भी दान, पूजा-पाठ या अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। इसका खुलासा पिछले साल जुलाई में लगे पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान विज्ञान प्रसार विभाग में देशभर से आई स्कूली बच्चों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट से हुआ था।

सबसे लंबी अवधि का सूर्य ग्रहण कल यानी 15 जनवरी को लगेगा। यह क्षण अगली कई पीढि़यों को देखना नसीब नहीं होगा। अगले हजार साल से अधिक का इंतजार करना पड़ेगा। ग्रहण के दौरान सूर्य सोने के कंगन जैसा खूबसूरत नजारा पेश करेगा। हालांकि यह नजारा सिर्फ दक्षिण भारत में दिखेगा, देश के शेष भाग में आंशिक सूर्य ग्रहण के दर्शन होंगे।

ऐसे ऐतिहासिक क्षणों को देखने से हम भारतीय चूक जाते हैं या अज्ञानता, अंधविश्वास और विभिन्न धारणाओं के चलते कर्मकांडों में लिप्त हो जाते हैं। पिछले साल 22 जुलाई को लगे पूर्ण सूर्य ग्रहण से पहले लोगों में जागरूकता को लेकर विज्ञान प्रसार विभाग, नोएडा ने देशभर से विपनेट क्लब और स्कूली बच्चों से प्रोजेक्ट रिपोर्ट मंगाई थीं। अभियान में पूरे देश से 103 रिपोर्टे आई, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश से 15-15 व दिल्ली से नौ रिपोर्ट शामिल थीं। अन्य प्रदेशों से भी एक से लेकर सात तक रिपोर्ट आई। प्रोजेक्ट रिपोर्ट में एक चौथाई आबादी अभी तक ग्रहण के वैज्ञानिक कारणों से अनजान पाई गई। सर्वेक्षण से पता चला कि 80 फीसदी युवा ग्रहण को लेकर जागरूक हैं, लेकिन साठ फीसदी बुजुर्ग इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते। खास यह कि ज्यादातर लोग इसे खगोलीय घटना के बजाय ज्योतिष से जोड़ते हैं। चालीस फीसदी शिक्षित लोग ग्रहण के वैज्ञानिक कारण जानते हैं, लेकिन वे अंधविश्वास भी मानते हैं। प्रोजेक्ट में शामिल 68 फीसदी लोग ग्रहण को खगोलीय घटना मानते हुए भी भयभीत दिखे। सर्वेक्षण में 84 फीसदी महिलाएं ग्रहण के दौरान घरेलू कामों से बचने की बात कहती हैं। वैज्ञानिक इन बातों से बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखते। विज्ञान प्रसार विभाग के पूर्व निदेशक वीबी कांबले कहते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण एक निश्चित समय पर होने वाली खगोलीय घटनाएं हैं। अंधविश्वास और अज्ञानता के चलते लोग इन्हें देखने से वंचित रह जाते हैं। युवा आगे बढ़ पुरानी धारणाओं को खत्म कर सकते हैं। विज्ञान प्रसार विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी बीके त्यागी कहते हैं कि लोग सुरक्षित तरीके से सूर्य ग्रहण का नजारा करें, तो ये यादों में संजोकर रखने वाले क्षण होते हैं।

एनसीआर से एक दर्जन बच्चे पहुंचे कन्याकुमारी

ऐतिहासिक सूर्य ग्रहण देखने के लिए विज्ञान प्रसार विभाग के वैज्ञानिकों की टीम के साथ पूरे एनसीआर से करीब एक दर्जन बच्चे कन्याकुमारी में लगे राष्ट्रीय शिविर में पहुंचे हैं। गाजियाबाद व नोएडा से चार व दिल्ली, फरीदाबाद व गुड़गांव से सात बच्चे इस टीम में शामिल हैं। शिविर में देशभर से एक हजार वैज्ञानिक, स्कूली बच्चे व आम लोग जुटेंगे।

बादल छीन सकते हैं 'सोने का कंगन'

नोएडा स्थित राष्ट्रीय मध्यावधि पूर्वानुमान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ। रंजीत सिंह के अनुसार देश के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से में 15 जनवरी को आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है। तमिलनाडु, केरल, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी कहीं-कहीं बादल छा सकते हैं या हल्की बारिश होगी। इससे यह आशंका है कि 1999 व 2009 के पूर्ण सूर्य ग्रहण की तरह बादल इस ऐतिहासिक सूर्य ग्रहण को देखने से भी वंचित कर सकते हैं। दे जा

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