सोमवार, 7 दिसंबर 2009

ब्रेकिंग न्यूज़: तेलेगना राज्य को लेकर उस्मानिया के छात्रों ने फिर मचाया उत्पात


हैदराबाद। अलग तेलंगाना राज्य की माँग को लेकर आंदोलन कर रहे उस्मानिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने आज फिर शहर को सिर पर उठा लिया। इस दौरान न केवल वे पथराव पर उतर आए, बल्कि कई जगह उन्होंने गाड़ियाँ भी रोकीं। हालात के मद्देनजर भारी बल तैनात किया गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उस्मानिया यूनिवर्सिटी के टीआरएस समर्थित हजारों छात्र सुबह-सुबह यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर जमा हो गए। वे अलग तेलंगाना राज्य की माँग को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। देखते ही देखते उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। घटना में कुछ पत्थर यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर चले गए। इसके जवाब में भीतर मौजूद छात्रों ने भी पथराव शुरू कर दिया। स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके बाद भी छात्रों का हंगामा नहीं थमा और वे शहर के अलग-अलग इलाकों में गाड़ियाँ रोकते देखे गए। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की माँग 1969 में पहली बार उठी थी। तब से लेकर अब तक इसके समर्थन में कई आंदोलन होते रहे हैं। हाल ही में इस माँग ने उस वक्त जोर पकड़ा, जब 29 नवंबर को तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने आमरण अनशन की धमकी दे डाली। हालाँकि भूख हड़ताल शुरू करने से पहले ही उन्हें करीमनगर में हिरासत में ले लिया गया, लेकिन उनका अनशन जारी रहा। इस दरौन सरकार ने उनका अनशन तुड़वाने की कई कोशिशें की। राव द्वारा अनशन तोड़ने की खबरें मीडिया में आने के बाद उनकी आंदोलन से जुड़े लोगों ने जमकर आलोचना भी की। हड़ताल के दौरान राव समर्थित दो कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ गई, जिन्होंने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस बीच पुलिस का कहना है कि यूनिवर्सिटी छात्रों के साथ आंदोलन में कुछ असामाजिक तत्व भी शामिल हैं, जो कानून व्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से शहर में सक्रिय हैं। उल्लेखनीय है कि छात्रों के हंगामे को देखते हुए उस्मानिया यूनिवर्सिटी को 18 दिसंबर तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। मजदूर और बुद्धिजीवियों का भी समर्थन : टीआरएस के आंदोलन में करीमनगर के 90 हजार से ज्यादा मजदूरों ने काम बंद कर दिया है। इसके अलावा वारंगल यूनिवर्सिटी के छात्र और कई बुद्धिजीवी भी इसमें कूद पड़े हैं।

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